ऑंसू पोंछना, मु. ढाढस बँधाना बेचारे की मुसीबत में ऑंसू पोंछने वाला भी कोई न था।
2.
सो, यह भी नहीं जानता था कि ऐसे समय में क्या कहना चाहिए, किस तरह ढाढस बँधाना चाहिए।
3.
उन्हें दवा देना, ढाढस बँधाना, पानी पिलाना और उनका मल-मूत्र आदि साफ करना, इसके सिवा कुछ विशेष करने को था ही नही ।
4.
किसी की परेशानी को धैर्यपूर्वक सुन लेना, उसकी वाजिब बात का समर्थन करना, उसे ढाढस बँधाना भी सहायता होती है, यह एनएन साहब से ही जाना।
5.
विचार चलते रहे, पर प्रकट में, बोले, ' जाऊँगा, प्रयत्न करूँगा. पूरी तरह करूँगा. ' '. हमेशा ही जाते रहे हो. कहीं टिके कब तुम? फिर आओगे. वहाँ से निवृत्त हो कर, चिंता रहित. ' ढाढस बँधाना चाहती है-' माधव, फिर आओगे तु म.